प्रमोद कुमार सिंह: उत्तर प्रदेश के ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा जी के साथ हूँ | हम इनसे बात करेंगे उत्तर प्रदेश की मौजूदा ऊर्जा की डिमांड पर और आगे क्या सरकार करना चाह रही है |
मंत्री जी 19 मार्च 2017 को जब आपकी सरकार आई, योगी आदित्यनाथ जी मुख्यमंत्री बने, आपको विभाग में ऊर्जा मंत्रालय मिला, उस समय देखें तो पावर डेफ़िसिट बहुत ज़्यादा थी | आप के आने के बाद से आपने उस गैप को कैसे पूरा किया?
श्री कांत शर्मा : देखिए पहले बिजली आना एक ख़बर होती थी और उत्तर प्रदेश में बिजली जाना एक ख़बर होती है | पहले बिजली आती थी, चुनिंदा ज़िलों को दी जाती थी | चार या पांच ज़िले, सरकार के प्रभावशाली लोग जिन ज़िलों से आते हैं केवल उन ज़िलों तक ही बिजली दी जाती थी | हमारी सरकार ने बिना भेदभाव के 75 ज़िलों में समान रूप से हमने रोस्टर तय किया है | ज़िला मुख्यालय पर हम लोग 24 घंटे बिजली देते हैं, तहसील मुख्यालय पर हम लोग 20 घंटे देते हैं, बुंदेलखंड में 22 घंटे देते हैं और गांव को हम लोग 18 घंटे बिजली देते हैं | हमारी सरकार जब आई थी तो यहाँ ग्रिड की जो क्षमता है, 16,000 के आसपास ही पूरी कर पाते थे |आज हम लोग 25,000 मेगावाट से अधिक की डिमांड पूरी कर रहे हैं | और 2022 के अंत तक हमारी जो क्षमता है वो 28,000 मेगावाट हो जाएगी | तो लगभग आज की डेट में बात करें तो 9000 मेगावाट बिजली हम पिछली सरकार से अधिक दे रहे हैं अपने उपभोक्ताओं को |
पहले बिजली के लिए उपभोक्ता की सुनवाई नहीं होती थी | अब उपभोक्ता के लिए हमने 19128 एक टोल फ़्री नम्बर है हमारा, मेरी सोशल साइट उपभोक्ताओं के लिए ओपन रहती है | ग्रामीण क्षेत्रों में सूर्यअस्त से लेकर सूर्योदय तक कहीं आपको उत्तर प्रदेश में अंधेरा दिखाई नहीं देगा | उत्तर प्रदेश सब उजाले की तरफ़ है | उत्तर प्रदेश रौशन हो रहा है | हमने आयात क्षमता को बढ़ाया | पहले लगभग 7,200 आयात क्षमता थी, लगभग हमने 14,000 मेगावाट आयात क्षमता बढ़ाई है | ग्रिड की क्षमता बढ़ाई है | इंफ्रा को बढ़ाया है | और हमने ट्रांसमिशन की जो लाइनें हैं उनका विस्तार किया है |
डिस्ट्रीब्यूशन के लिए हमारे 33/11 के जो सबस्टेशन्स हैं उनको हमने आगे बढ़ाया है | तो लगभग देखें 11,000 करोड़ हमने केवल अपने ट्रांसमिशन की इंफ़्रा पर ख़र्च किया है | क्योंकि ट्रांसमिशन एक ऐसा सैक्टर है, यह बिजली डिपार्टमेंट जो है तीन सैक्टर का रहता है | एक जो है उत्पादन होता है, एक ट्रांसमिशन होता है, एक डिस्ट्रीब्यूशन होता है | तो उत्पादन में हमको कोई दिक्कत नहीं है, ट्रांसमिशन हमारा बहुत स्ट्रोंग हो गया है, डिस्ट्रीब्यूशन में हम फ़ीडर तक रोस्टर के अनुसार बिजली पहुँचा रहे हैं | लेकिन उसके आगे हमें थोड़ी दिक्कत आती है क्योंकि पुरानी व्यवस्था है, जड़-जड़ तार हैं, ट्रांसफार्मर डैमेज हो जाते हैं, फिर ओवरलोड हो जाते हैं ट्रांसफ़ार्मर क्योंकि जो सैंक्शन लोड है, कहीं उससे ज़्यादा लोड ट्रांसफ़ार्मर पर आ जाता है| इन चीज़ों को भी हम धीरे धीरे इम्प्रूव कर रहे हैं | तो पहले केवल पौलिटिकल टूल की तरह बिजली का इस्तेमाल होता था |
आज एक बुनियादी आवश्यकता है बिजली | इसलिए बिजली सबको उपलब्ध हो रही है | और इससे एक बहुत बड़ा परिवर्तन आया है | कोविड में अगर आप देखें तो कोविड में जो लॉकडाउन फ़र्स्ट था, उसमें सब लोग अपने घरों में रहे और उसमें बिजली की बहुत बड़ी भूमिका थी क्योंकि लोग घर पर थे तो इंटरनेट भी यूज़ हो रहा था, टेलीविज़न भी चल रहे थे | उनकी जो अपेक्षाएं थीं, उनकी जो आवश्यकताएं थीं, वो बिजली से पूर्ण हो रही थीं | जब दूसरा लॉकडाउन लगा, उसमें भी बिजली निर्बाध हम देते रहे | हमारे यहाँ जितने भी हास्पिटल हैं डिस्ट्रिक्ट में उनको निर्बाध बिजली हम देते रहे जिससे हमारे जो पेशंट्स हैं वहां उनको कोई दिक्कत किसी तरह की नहीं आई | किसानों के लिए भी एग्रीकल्चर फ़ीडर हमने सैपरेट किया है जिससे गाँव में जो लो-वोल्टेज की समस्या रहती थी उससे भी निजात मिलेगी और किसानों को एक तय समय पर, सुबह सात बजे से लेकर शाम को 5 बजे तक, बिजली उपलब्ध कराते हैं बिना किसी व्यवधान के | अगर कहीं कोई टूट-फूट होती है तो उसकी भरपाई फिर हम लोग रात को करते हैं | यानी किसानों को हम लोग दस घंटे बिजली देते हैं | और सस्ती और निर्बाध बिजली के लिए हम लोग संकल्पबद्ध हैं | इसलिए इंफ़्रास्ट्रकचर पर हम लोग इतना काम कर रहे हैं |
हमारे कंज़्यूमर के घर तक पहुँचने में जो बिजली की कौस्ट है, ₹7.55 आती है | हमने मैनिफेस्टो में अपने जो घोषणा की थी कि हम जो ग़रीब परिवार हैं, उन लोगों को पहले 100 यूनिट मात्र ₹ 3 में देंगे, तो हम ₹ 3 में पहले 100 यूनिट दे रहे हैं | बाक़ी सब्सिडी सरकार दे रही है | ऐसे ही किसानों को ₹7.55 की बिजली ₹ 1.25 प्रति यूनिट के हिसाब से देती है | अगर आप इसमें फ़िक्सड चार्ज से बात करें तो 170 रुपये प्रति एचपी के हिसाब से हम किसानों को बिजली उपलब्ध कराते हैं | पहले डार्क ज़ोन थे | पहले ये लोग कनैक्शन देते नहीं थे, बहाने मारते थे किसानों के लिए | अब हमने डार्क ज़ोन को समाप्त किया है | पहले लगभग ये 18,000 के आसपास ही प्रति वर्ष कनैक्शन देते थे | हमारी सरकार लगभग 50,000 प्रति वर्ष के हिसाब से कनैक्शन अपने किसानों को दे रही है |तो किसानों को, ग़रीब लोगों को सस्ती बिजली का संकल्प सरकार का है, निर्बाध बिजली का संकल्प सरकार का है और आने वाले समय में लोगों को 24 घंटे बिजली मिले इसकी भी सरकार चिंता कर रही है क्योंकि अब यह विभाग लगभग 90,000 करोड़ के घाटे में है |
उसका एक बड़ा रीज़न यह है कि हमारे ग्रामीण क्षेत्रों में 75% लोग अन्य-अन्य कारणों से बिल का भुगतान नहीं कर पाते हैं | ऐसे ही शहरी क्षेत्रों में लगभग 25% लोग है जो समय पर अपने बिल का भुगतान नहीं कर पाते हैं | सरकार सस्ती बिजली के लिए, पूर्व में हमारे जो सरकार थी वो 4,800 क़रीब सब्सिडी देती थी, हमारी भाजपा की सरकार 11,000 करोड़ की सब्सिडी देती है जिससे किसानों को और ग़रीब लोगों को सस्ती बिजली मुहय्या हो सके प्रति वर्ष |
प्रमोद कुमार सिंह: एक सवाल ग्रामीण विद्युतीकरण पर है, जो प्रधानमंत्री की भी सौभाग्य योजना है जिसकी वजह से गाँव में ग़रीब लोगों को बिजली मिलती है |आपको क्या लगता है जो ग्रामीण विद्युतीकरण है उसका जो लक्ष्य था आपने पूरा कर लिया है या अभी उसमें कुछ काम बचा है?
श्रीकांत शर्मा : देखिए हमारा प्रदेश धन्यवाद देना चाहेगा अपने आदरणीय प्रधानमंत्री जी का क्योंकि यह प्रधानमंत्री जी का ही प्रदेश है | आदरणीय प्रधानमंत्री जी काशी से ही सांसद हैं | और पूरे देश पर उनकी निगाह रहती है और इसीलिए आज़ादी से लेकर और जब हमारे प्रधानमंत्री आए, 2014 तक और उसके बाद देखा कि लगभग साढ़े चार करोड़ लोग अंधेरे में हैं तो उनके घरों में रौशनी पहुँचाई | उत्तर प्रदेश में 2017 से लेकर आज तक 1 करोड़ 40 लाख लोगों के घरों में रौशनी पहुंचाने का काम हमारी सरकार ने किया है |और लगभग 1,26,000 जिनको टोले कहते हैं मजरे कहते हैं उन तक हमने विद्युतीकरण का कार्य पूर्ण किया है | लेकिन क्या है जनसंख्या जैसे बढ़ रही है वैसे ही गाँव से निकलकर 100-200-300 की संख्या में तो नहीं कहूँगा लेकिन 20-25 घर कहीं बन गए हैं उन तक हमको और बिजली पहुंचानी है | तो यह सर्वे हमारा 2016 का सर्वे है | अब दुबारा से हम लोग सर्वे कर रहे हैं | तो जब भी सर्वे करते हैं तो उसमें कुछ टोले निकल कर आते हैं | यह एक शास्वत प्रक्रिया है | जैसे बिजली के कनैक्शन आप लगातार जैसे जैसे जनसंख्या बढती जाएगी, जैसे जैसे नए घर बनते जाएंगे, वैसे वैसे लोगों की आवश्यकता बढती जाती है | तो अभी हम धन्यवाद करेंगे अपने प्रधानमंत्री जी का | रीमेक स्कीम आ रही है आने वाले समय में, पूरे देश के लिए है, लगभग तीन लाख करोड़, आदरणीय प्रधानमंत्री जी ने पूरे देश के लिए दिए हैं |
यह जो पुराना जरजर इंफ्रा है इसका हमको सुधरण करना है | 24 घंटे बिजली गाँव में रहे यह आदरणीय प्रधानमंत्री जी का सपना है, हमारे यहाँ जो प्रक्रिया है उसकी पूरी हो चुकी है | हमने 33/11 के सबस्टेशन से जितनी भी हमारे आवश्यकताएं है वो हमने सब मांग ली हैं | जनप्रतिनिधियों का सहयोग ले रहे हैं | प्रधान तक का हम सहयोग ले रहे हैं क्योंकि गाँव में अभी हमको बिजली के सुधार के लिए क्या क्या आवश्यकता है तो इसमें प्रधानों का भी हम लोग सुझाव ले रहे हैं | तो आने वाले समय में उत्तर प्रदेश में बिजली 24 घंटे रहे और गाँव में 24 घंटे रहे, बिना व्यवधान के रहे, बिना इन्ट्रपशन के रहे,यह आदरणीय प्रधानमंत्री जी का सपना है जिसको यहाँ उनके नेतृत्व में सपना यह साकार हो रहा है |
प्रमोद कुमार सिंह: आप अगले पाँच सालों में उत्तर प्रदेश की जो पावर की डिमांड है उसमें कितनी वृद्धि देख रहे हैं और आपकी सरकार उसको पूरा करने के लिए, उस चैलेंज का सामना करने के लिए किस लेवल तक तैयार है ?
श्रीकांत शर्मा: मैंने एक उदाहरण दिया आपको, 2017 में हमारी सरकार आई , उससे पहले 16,000 मेगावाट की भी पूर्ति ये लोग नहीं कर पाते थे | आज हम लोग इसी सीज़न में 25,053 मेगावाट की डिमांड को हमने मीट किया है | तो इसीलिए हम लोग प्रति वर्ष अपनी जो ट्रांसमिशन की क्षमता है उसमें वृद्धि करते हैं | लगभग 2000 मेगावाट की हम प्रति वर्ष वृद्धि करते हैं लेकिन इस वर्ष जिस तरह से डिमांड आई है तो इस वर्ष हमने तय किया है कि 28,000 हमारी क्षमता रहेगी और अगले आने वाले पांच साल के लिए हमने पहले ही क्वाटर में यानि 2032 तक का हमारा टारगेट है | तब तक की हमने अपने यहाँ व्यवस्था कर रखी है | तो प्रति वर्ष लगभग 2000-3000 मेगावाट की हमको आवश्यकता रहती है उसी आधार पर हम अपने इंफ्रा को डेवेलप कर रहे हैं |
प्रमोद कुमार सिंह: यह थे उत्तर प्रदेश के ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा जी जिन्होंने अभी दी न्यू इंडियन से बातचीत में बताया कि प्रदेश में बिजली की जो क्षमता है उसको कैसे आगे बढ़ाया जाएगा | 2032 तक की योजना सरकार के पास है |शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली को निर्बाध रूप से सप्लाई करने के लिए उनकी सरकार ने हर संभव क़दम उठाया है |